एक एंट्रप्रेन्योर, लीक से हटकर सोचता है। वो एक ऐसा रिस्क टेकर है, जो कुछ एडवेंचरस, समाज के लिए कुछ बड़ा करने और अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का जज्बा रखता है। और उसका बिजनेस, न सिर्फ उस फाउंडर के लिए, बल्कि पूरे देश की इकॉनमी को इफेक्ट करता है। एक एंट्रप्रेन्योर, लोगों के रोजगार और उनकी इनकम का जरिया बनता है। लेकिन, अक्सर एंथ्रप्रेन्योरशिप कल्चर में टैक्स चोरी जैसे कई इल्लीगल या अनएथिकल काम देखने को मिलते हैं। तो क्या किसी कारोबारी की ऐसी सफलता को, जस्टिफाई किया जा सकता है? जब भी कोई फाउंडर एक इंडस्ट्री शुरू करता है, तो उसका पहला लक्ष्य- अपने फ्यूचर को सेक्योर करना और ज्यादा से ज्यादा प्रोफिट कमाना होता है। इसलिए वो, उसमें और ज्यादा इन्वेस्ट करता है। इन्वेस्टमेंट की आउटपुट, दीर्घकालिक होती है, यानी निवेश के कुछ साल बाद, उससे लाभ मिलना शुरू होता है। ऐसे में, किसी भी बिजनेस की सफलता में 2 चीजें, बहुत अहम रोल निभाती हैं। इसमें पहली चीज- उस कंपनी का प्रोडक्ट और उसकी सर्विस है। अगर उसके प्रोडक्ट की क्वालिटी अच्छी होगी, तभी लोग उस प्रोडक्ट को खरीदेंगे और उस कंपनी पर भरोसा करेंगे। दूसरा अहम फैक्टर- आर्गेनाइजेशन की पहचान है। ज्यादातर कंपनियां, सोशल वेलफेयर से जुड़ती हैं, जिसका इम्पैक्ट उनकी कंपनी की ग्रोथ पर पड़ता है। ज्यादातर कंपनियां जरूरतमंद लोगों और संस्थाओं को डोनेशन देती हैं। इतना ही नहीं, टाटा और विप्रो जैसी कुछ कंपनियों के बारे में आप भी जानते होंगे, जो समाज का भला कर रही हैं। उनके ऐसे काम की वजह से लोग उन पर विश्वास करते हैं, और उनके साथ जुड़ते हैं। उदाहरण के लिए बाबा रामदेव, योग और आध्यात्म के जरिए, करोड़ों लोगों से जुड़े थे, और आज यही कारण है कि बहुत कम समय में पतंजलि के प्रोडक्ट ने मार्केट में अच्छी जगह बना ली। ग्राहक किसी भी बिजनेस का सबसे अहम पार्ट हैं, जिनके बिना, कोई भी बिजनेस खत्म हो सकता है। प्रोडक्ट की क्वालिटी बहुत जरूरी है, लेकिन उसके साथ-साथ ग्राहकों के लिए कंपनी की सर्विस और उनके मालिक की पहचान, बिजनेस की ग्रोथ में अहम रोल निभाती हैं।
हर चीज के अपने-अपने रूल-रेगुलेशन होते हैं, उदाहरण के लिए हम में से हर किसी की जिंदगी के अपने-अपने उसूल हैं, प्रकृति, समाज और हर देश के भी अपने नियम-कानून होते हैं। इसी तरह हर सेक्टर, के भी अपने प्रोटोकॉल हैं, जिन्हें हर किसी को फॉलो करना पड़ता है। कई बार व्यापारी अपनी कंपनी की ग्रोथ और ज्यादा पैसा कमाने के लिए नियमों के विरुद्ध काम करते हैं। जैसे टैक्स चोरी करना, इन्वेस्टर्स और खुद के फायदे के लिए शेयर की इवेल्यूएशन बढ़ाना और कई ऐसी चीजें, जो उस आग्रेनाइजेशन के साथ-साथ समाज के लिए अनएथिकल हैं। जाहिर सी बात है कि हर कारोबारी, सफल होना चाहता है, लेकिन क्या एक एंट्रप्रेन्योर का, रॉबिनहुड की तरह होना, सही ठहराया जा सकता है? आज ऐसा टाइम आ गया है, जब किसी भी कारोबार में प्रॉफिट सबसे पहले देखा जाता है! और उस कंडीशन में, बिजनेसमैन को इफेक्ट करने वाली सबसे बड़ी चीज यह है कि उसके पर्सनल और प्रोफेशनल वेलफेयर के बीच टकराव शुरू हो जाता है। क्योंकि प्रॉफिट और एक सक्सेसफुल बिजनेस के लिए, कई बार अपने नैतिक स्वभाव, अपने वास्तविक नेचर को दांव पर लगाना पड़ता है। लेकिन सिर्फ बाजार में बने रहने और अपने प्रॉफिट के लिए ऐसा करना, क्या जरूरी है?
हम सभी ने स्कूल टाइम में एथिकल और मोरल वैल्यूज के चैप्टर बचपन में ही पढ़ लिए थे, लेकिन ये उम्र भर काम आने वाली चीज है। कई बार देखा गया है कि पैसा, शोहरत और सफलता के बावजूद कुछ लोग खुश नहीं होते। अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होते। शायद इसका कारण यही है कि वो हमेशा, एक डर या ग्लानी महसूस करते हैं। डर इस बात का हो सकता है कि उनका सच दुनिया के सामने आ गया, तो उनकी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। और आत्म गलानी, इसलिए, क्योंकि हमारी लाइफ में एक ऐसा समय जरूर आता है, जब हम अपने गलत और सही कर्मों का हिसाब लगाते हैं। हमें अपने हर गलत का पश्चाताप होता है। जाहिर सी बात है, सच को किसी बात का डर नहीं होता। इसलिए, एक नैतिक बिजनेस को, अंतत: सफलता और संतुष्टि दोनों मिलती है। अक्सर सुनने को मिलता है कि उद्योगपतियों पर- excise, इनकम टैक्स और कंपनी लॉ बोर्ड जैसी लाइसेंसिंग और Regulatory bodies का डर बना रहता है। कोई व्यक्ति हो या फिर आग्रेनाइजेशन, अगर नियम-कानून के अनुसार चल रहा है, तो उसे किसी का डर नहीं होना चाहिए। यानी एंट्रप्रेन्योर भी कुछ गलत कर रहे हैं, जिसके कारण उनके मन में डर बना रहता है अगर एक तरफ कोई कंपनी, social work kar रही है और दूसरी तरफ टैक्स चोरी जैसी गलत गतिविधियों में शामिल है, तो इसे कैसे सही ठहराया जा सकता है?